आर्य कुमरों यही व्रत धारो देश जगाना है।
आर्य बनाना है।।स्थाई।।
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आर्योद्धारक महर्षि देव दयानंद जी |
सब सत्य विद्या और पदार्थ विद्या से जाने जाते।
उन सबका है आदिमूल परमेश्वर ये बतलाते।
चौबीस अक्षरी मन्त्र गायत्री सबको सिखाना है।।1।।
वेद का पढ़ना पढ़ाना सुनना और सुनाना।
समझें इसको परम धर्म ना कोई करे बहाना।
पत्थर पूजें नाहक झूजें उन्हें हटाना है।।2।।
पंच यज्ञ घर-घर में करना सीखें सब नर-नारी।
दुर्व्यसनों से दूर रहें बने सदाचारी उपकारी।
अभक्ष पदार्थ समझ अकारथ उन्हें छुड़ाना है।।3।।
मातृवत् परदारेषु पर धन मिट्टी जाने।
वैदिक शिष्टाचार को वर्तें सीखें ढंग पुराने।
हो गुण अन्दर ‘वीर वीरेन्द्र’ झुके जमाना है।।4।।
शुभकामनायें यहाँ भी अच्छे शब्द है
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