सोमवार, 8 अगस्त 2011

जब तेरी डोली

जब तेरी डोली निकाली जाएगी 
बिन मुहूर्त के उठाली जाएगी



जर सिकंदर का यहाँ पर रह गया
मरते दम लुकमान भी यह कह गया
ये घड़ी हरगिज  न टाली जाएगी १ 

उन हकीमों से ये पूछो बोलकर
दावा करते थे किताबें खोलकर 
यह दवा हरगिज न खाली जाएगी २ 

क्यों गुलों पर हो रहे बुलबुल निसार
पीछे माली है खड़ा ख़बरदार 
मारकर गोली गिराली जाएगी ३ 

ये मुसाफिर क्यों पसरता है यहाँ
यह किराये का मिला तुझको मकाँ
कोठारी खाली करली जाएगी 4 

धर्मराज जब लेगा तेरा हिसाब
फिर वहाँ पर क्या देगा तू जवाब
जब बही तेरी निकाली जाएगी