होवे दुनियां का उपकार हवन के करने से /
होती है शुध्द पवन हवन से, दुर्गन्धि भग जाती भवन से /
हो न कोई बीमार हवन के करने से //
अच्छी गन्ध जाती है खेत में, कीचड़ में और जल में रेत में /
हो शुध्द पैदावार हवन के करने से //
खोजे नहीं मिले बीमारी वैद्य डाक्टर और पंसारी /
घूमें सब बेकार हवन के करने से //
जल हो शुध्द वायु मंडल में , वर्षे वन उपवन जंगल में /
अन्न हो बेशुमार हवन के करने से //
सबकी अच्छी हो तंदुरुस्ती , किसी समय न आवे सुस्ती /
हो आनंद अपार हवन के करने से //
'पृथ्वीसिंह' तूने कविताई , बिना स्वर और ताल सदा गाई /
फिर भी सफल प्रचार हवन के करने से //