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सोमवार, 11 अप्रैल 2011

हवन महिमा

होवे दुनियां का उपकार हवन के करने से /

होती है शुध्द पवन हवन से, दुर्गन्धि भग जाती भवन से /
हो न कोई बीमार हवन के करने से //

अच्छी गन्ध जाती है खेत में, कीचड़ में और जल में रेत में /
हो शुध्द पैदावार हवन के करने से //

खोजे नहीं मिले बीमारी वैद्य डाक्टर और पंसारी /
घूमें सब बेकार हवन के करने से //

जल हो शुध्द वायु मंडल में , वर्षे वन उपवन जंगल  में /
अन्न हो बेशुमार हवन के करने से //

सबकी अच्छी हो तंदुरुस्ती , किसी समय न आवे सुस्ती /
हो आनंद अपार हवन के करने से //

'पृथ्वीसिंह' तूने कविताई , बिना स्वर और ताल सदा गाई /
फिर भी सफल प्रचार हवन के करने से //

सोमवार, 4 अप्रैल 2011

यज्ञ प्रार्थना

यज्ञरूप प्रभो हमारे भाव उज्ज्वल कीजिए 
छोड़ देवें छल कपट को मानसिक बल दीजिए


वेद की बोलें ऋचाएं सत्य को धारण करें 
हर्ष में हों मग्न सारे शोक सागर से तरें


अश्वमेधादिक रचाएं यज्ञ पर उपकार को
धर्म मर्यादा चलाकर लाभ दें संसार को


नित्य श्रध्दा भक्ति से यज्ञादि हम करते रहें
रोग पीड़ित विश्व के संताप सब हरते रहें


भावना मिट जाये मन से पाप अत्याचार की 
कामनाएं पूर्ण होवें यज्ञ से नर नारी की


लाभकारी हो हवन हर प्राणधारी के लिए 
वायु जल सर्वत्र हो शुभ गंध को धारण किए


स्वार्थ भाव मिटे हमारा प्रेम पथ विस्तार हो
इदन्न मम का सार्थक प्रत्येक में व्यवहार हों


प्रेम रस में तृप्त होकर वंदना हम कर रहे 
नाथ करुणा रूप करुणा आप की सब पर रहे