ये सारी बीमारी है आर्यों के राज बिना।
आर्यों का राज हो तो सच्चे न्यायकारी हो।
मनु का कानून मानें दुष्टों को दण्ड भारी हो।
यूं डाकू चोर जुआरी-हैं आर्यों के राज बिना।।1।।
गुरुकुलों में शिक्षा पाएं पढ़कर वेदाचारी हों।
ब्रह्मचर्य का पालन करें बलकारी बलधारी हों।
ये नामर्दी सारी हैं आर्यों के राज बिना।।2।।
सन्ध्या-हवन करें प्रतिदिन सच्चे ओम् पुजारी हों।
दूध-दही-घी-मक्खन खाएं पक्के परोपकारी हों।
ये शराबी मांसाहारी हैं आर्यों के राज बिना।।3।।
गोमाता के भक्त बनें यहाँ दिलीप कृष्ण मुरारी हों।
महाराजा खुद गाय चरावें नदी दूध की जारी हों।
यहाँ चलती रोज कटारी हैं आर्यों के राज बिना।।4।।
एक ईश्वर के भक्त बनें सब सारी दूर खवारी हों।
मजहबी झगड़े सब मिट जावें मोक्ष के अधिकारी हों।
ये मोडे मठधारी हैं आर्यों के राज बिना।।5।।
शुद्ध भावों से दान करें ऐसे गृहस्थाचारी हों।
ऋषि-मुनियों का सत्कार हो पण्डित वेदाचारी हों।
ये पण्डे पोप-पुजारी हैं आर्यों के राज बिना।।6।।
‘ईश्वरसिंह’ की कथा भजन हों रंगत न्यारी-न्यारी हों।
नित्यानन्द प्रचार करे समझदार नर-नारी हों।
ये नकली प्रचारी हैं आर्यों के राज बिना।।7।।