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मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015

कुल की परम्परा मर्यादा-----|


कुल की परम्परा मर्यादा निभाये जाना बेटी..

तुम सास-ससुर घर जाना, उस घर का मान बढाना।
अपने बचपन का संसार भुलाए जाना बेटी।।1।।

सब काम समय पर करना, सब चीज जगह पर धरना।
घर में शिक्षा व सुविचार फैलाए जाना बेटी।।2।।

सास-ससुर की सेवा, है सब सुखों की देवा।
अपनी खुशियों का संसार बढाए जाना बेटी।।3।।

छोटों पर नेह दिखाना, और बड़ों का मान बढाना।
घर में ये उत्तम व्यवहार, निभाए जाना बेटी।।4।।

घर में कोई अतिथि आये, वो भूखा कभी न जाए।
उसको भोजन व जलपान कराए जाना बेटी।।5।।

मत फैशन में फंस जाना, मत फूहडपन दर्शाना।
उत्तम गृहिणी का शृंगार सजाए जाना बेटी।।6।।

गुरुवार, 1 नवंबर 2012

बहनों तुम करो विचार-विचार----


बहनों तुम करो विचार-विचार।
ये जीवन सफल बनाने का।।टेक।।











प्रातः समय नित ईश्वर-चिन्तन।
शौच सफाई दांतो पर दन्तन।
करो परस्पर प्यार- हां प्यार।।01।।

हवन से बढकर नहीं काम है।
सुखों का सागर चारों धाम है।
करो हवन से तुम महकार-महकार।।02।।

सास-श्वसुर तेरे मात-पिता हैं।
पति राम तेरे तू सीता है।
तेरा सीता सम-व्यवहार।।03।।

चोरी, चुगली झूठ छोड़ दे।
शराब की बोतल ठाके फोड़ दे।
ये जीवन करे दुष्वार- दुष्वार।।04।।

यज्ञ संध्या और बड़ों की सेवा।
शुभ कर्म मीठे फल मेवा।
करते हैं बेड़ा पार-पार।।05।।

ऊत भूत और डोरी गण्डे।
तुम्हें बहकावें जो मस्टण्डे।
ये श्याणे नीच मक्कार- मक्कार।।06।।

आर्यवीर ‘‘संजीव’’ का गाना।
सुनना और सुन ध्यान लगाना।
ये आर्यों का प्रचार- प्रचार।।07।।




रचना- 
श्री संजीव कुमार आर्य
मुख्य-संरक्षक, गुरुकुल कुरुक्षेत्र