गुरुवार, 9 मई 2024

ओम् ध्वजगान २

जयति ओ३म् ध्वज व्योम विहारी,

विश्व प्रेम प्रतिमा अति प्यारी।।

सत्य सुधा बरसाने वाला, 

स्नेहलता सरसाने वाला।

सौम्य सुमन विकसाने वाला,

विश्व विमोहक भवभयहारी।।१।।


इसके नीचे बढ़े अभयमन,

सत्पथ पर सब धर्म धुरिजन।

वैदिक रवि का हो शुभ उदयन,

आलोकित होवे दिशि सारी।।२।।


इससे सारे क्लेश समन हो,

दुर्मति दानव द्वेष दमन हो।

अति उज्ज्वल अति पावन मन हो, 

प्रेम तरंग बहे सुखकारी।।३।।


इसी ध्वजा के नीचे आकर,

ऊँच नीच का भेद भुलाकर।

मिले विश्व मुद मंगल गाकर,

पंथाई पाखंड विसारी।।४।।


इसी ध्वजा को लेकर कर में,

भर दें वेद ज्ञान घर-घर में।

सुभग शांति फैले जग भर में,

मिटे अविद्या की अंधियारी।।५।।


विश्व प्रेम का पाठ पढ़ायें,

त्याग अहिंसा को अपनायें।

जग में जीवन ज्योति जगाएं, 

त्याग पूर्ण हो वृत्ति हमारी।।६।।


आर्य जाति का सुयश अक्षय हो,

आर्य ध्वजा की अविचल जय हो।

आर्यजनों का ध्रुव निश्चय हो,

आर्य बनाएं वसुधा सारी।।७।।

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