सोमवार, 11 अप्रैल 2011

हवन महिमा

होवे दुनियां का उपकार हवन के करने से /

होती है शुध्द पवन हवन से, दुर्गन्धि भग जाती भवन से /
हो न कोई बीमार हवन के करने से //

अच्छी गन्ध जाती है खेत में, कीचड़ में और जल में रेत में /
हो शुध्द पैदावार हवन के करने से //

खोजे नहीं मिले बीमारी वैद्य डाक्टर और पंसारी /
घूमें सब बेकार हवन के करने से //

जल हो शुध्द वायु मंडल में , वर्षे वन उपवन जंगल  में /
अन्न हो बेशुमार हवन के करने से //

सबकी अच्छी हो तंदुरुस्ती , किसी समय न आवे सुस्ती /
हो आनंद अपार हवन के करने से //

'पृथ्वीसिंह' तूने कविताई , बिना स्वर और ताल सदा गाई /
फिर भी सफल प्रचार हवन के करने से //

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