सोमवार, 11 अप्रैल 2011

पितु मातु सहायक

पितु मातु सहायक स्वामी सखा तुम ही एक नाथ हमारे हो /
जिनके कछु और आधार नहीं तिनके तुम ही रखवारे हो //

सब भांति सदा सुखदायक हो, दुःख दुर्गुण नाशनहारे हो /
प्रतिपाल करो सिगरे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो //

भुलि है हम ही तुम को तुम तो, हमरी सुधि नाही बिसारे हो /
उपकारन को कछु अंत नहीं, छिन ही छिन  में विस्तारे हो //

महाराज महा महिमा तुमरी, समझे विरले बुध्दिवारे हो /
शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधे, मन-मन्दिर के उजियारे हो //

एहि जीवन के तुम जीवन हो, इन  प्राणन के तुम प्यारे हो /
तुम सों प्रभु पाय 'प्रताप हरी' केहि के अब और सहारे हो //

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