रविवार, 10 अप्रैल 2011

सुखी बसे संसार सब

सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय /
यह अभिलाषा हम सब की , भगवन पूरी होय //

विद्या बुध्दि तेज बल  सबके भीतर होय /
दूध पूत धन-धान्य से वंचित रहे न कोय //१//

आपकी भक्ति प्रेम से मन होवे भरपूर /
राग-द्वेष से चित्त मेरा कोसों भागे दूर //२//

मिले भरोसा आपका, हमें सदा जगदीश /
आशा तेरे धाम की, बनी रहे मम ईश //३//

हमें बचाओ पाप से , करके दया दयाल /
अपना भक्त बनाय कर, हमको करो निहाल //४//

दिल में दया उदारता मन में प्रेम अपार /
धैर्य हृदय में धीरता, सबको दो करतार //५//

नारायण तुम आप हो, कर्मफल देनेहार /
हमको बुध्दि दीजिए, सुखों के भंडार //६//

हाथ जोड़ विनती करूं सुनिए कृपा निधान   /
साधु-संगत सुख दीजिए, दया नम्रता दान //७//

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