दाता तेरे सुमिरन का वरदान जो मिल जाए.
मुरझाई कलि दिल की अक आन में खिल जाए.
सुनते हैं तेरी रहमत दिन रात बरसती है
एक बूँद जो मिल जाए तक़दीर बदल जाए
ये मन बड़ा चंचल है चिंतन में नहीं लगता
जितना इसे समझाउं उतना ही मचल जाए
हे नाथ मेरे मन की बस इतनी तमन्ना है
पापों से बचा लेना कहीं पग न फिसल जाए
देवत्व के फूलों से दामन को मेरे भर दो
दोषों भरे जीवन का कांटा ही बदल जाए
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