मंगलवार, 22 मई 2012

पीपल के पत्ते के ऊपर

पीपल के पत्ते के ऊपर तेरा ठोर ठिकाना है !

क्या जाने किस वक्त टूट कर मिटटी में मिल जाना है !

पका हुआ खरबूजा जैसे स्वयं छोड़ दे डाली को !
ऐसे ही तुम छोड़ के जाना इस दुनिया मतवाली को !
मृत्यु का बंधन कट जावे अमृत पद को पाना है ! क्या जाने किस वक्त .....

उत्तम मध्यम अधम पाश को परमेश्वर ढीला कर दे !
व्रत नियमों के परिपालन से दामन में खुशियां भर दे !
हो जावें अपराध रहित नर जीवन शुद्ध बनाना है ! क्या जाने किस वक्त .......

हंसना गाना मौज मनाना खाना पीना सोना है !
नियत समय तक इन सबसे सम्बन्ध सभी का होना है !
अंत काल में महागाल में ही हर हाल समाना है ! क्या जाने किस वक्त....

यह काया तो भस्म बनेगी आखिर इसका अंत यही है !
अग्नि वायु जल सभी छोड़ दें वेद में सच्ची बात कही है !
‘पथिक’ सिमर ले ओम् नाम को गर मीठा फल पाना है ! क्या जाने किस वक्त .......