वह थोड़ा सा कर्महीन है, जिसके घर सन्तान नहीं।
वह पूरा बदकिस्मत समझो याद जिसे भगवान् नहीं।।
नालायक सन्तान से तो बेहतर है बे औलाद रहे।
महल से अच्छी है वो झोंपड़ी, जो सुख से आबाद रहे।
दौलत वह किस काम की जिसमें परमेश्वर ना याद रहे।
धनी भी वह क्या धनी है, जिसको निर्धन का कुछ ध्यान नहीं।।१।।
सूरत सीरत प्यार मौहब्बत, किसी की यह जागीर नहीं।
जिसकी इज्जत है जग में कोई उससे बड़ा अमीर नहीं।
सूना है वह मन जिसमें मजलूमों की तस्वीर नहीं।
बन्दा वह क्या बन्दा जिसको बन्दे की पहचान नहीं।।२।।
कहता कुछ और करता कुछ है, वह कोई जबान नहीं।
आदमी वह बेजान है जिसकी, किसी बात में जान नहीं।
बेईमान कहलाये वो जिसकी, किसी बात में जान नहीं।।३।।
जिसके पास महल और बच्चे, दौलत ये सामान नहीं।
थोड़ा सा वह भाग्यहीन है, ज्यादा उसका नुकसान नहीं।
देश-भक्ति के बिना ‘नत्थासिंह’ बशर की कोई शान नहीं।
होते हुए में भी दान करे ना, वह भी कम नादान नहीं।।४।।