सुख भी मुझे प्यारे हैं, दुःख भी मुझे प्यारे हैं।
छोडूं मैं किसे भगवन्, दोनों ही तुम्हारे हैं।।
सुख-दुःख ही तो जीवन की गाड़ी को चलाते हैं।
सुख-दुःख ही तो हम सबको इन्सान बनाते हैं।
संसार की नदिया के दोनों ही किनारे हैं।।01।।
दुःख चाहे न कोई भी, सब सुख को तरसते हैं।
दुःख में सब रोते हैं, सुख में सब हँसते हैं।
सुख मिले पीछे उसके सुख ही तो सहारे हैं।।02।।
सुख में तेरा शुक्र करूँ, दुःख में फरियाद करूँ।
जिस हाल में रखे मुझे, मैं तुमको याद करूँ।
मैंने तो तेरे आगे, ये हाथ पसारे हैं।।03।।
जो है तेरी रजा उसमें, देखूं मैं पकड़ कैसे।
मैं कैसे कहूँ मेरे, कर्मों के हैं फल कैसे।
चख करके न देखूगा, मीठे हैं कि खारे हैं।।04।।