शनिवार, 30 जुलाई 2011

जीवन ख़त्म हुआ तो

जीवन ख़त्म हुआ तो जीने का ढंग आया.
जब शमा बुझ गई तो महफ़िल में रंग आया..

मन की मशीनरी ने, जब ठीक चलना सीखा.
तब बूढ़े तन के हर इक पुर्जे में जंग आया..

फुरशत के वक्त में न सिमरन का वक्त निकला.
उस वक्त-वक्त माँगा जब वक्त तंग आया..

आयु ने नत्था सिंह जब, हथियार फैंक डाले.
यमराज फोज लेकर, करने को जंग आया..

रचना:- श्री नत्था सिंह 

बुधवार, 27 जुलाई 2011

जिस दिन घमंड अपने

जिस दिन घमंड अपने सर से उतार देगा,
उस दिन तुझे विधाता अनमोल प्यार देगा..

उसके समान जग में दाता न और कोई,
देने पे जब वो आये तो बेशुमार देगा..

मन वचन कर्म उसकी आज्ञा अनुसार करले ,
वो तो फ़िदा है तुझपे सर्वस्व वार देगा ..

भगवान छोड़ साथी इन्सान को बनाया ,
सुख में जो साथ देता दुख में भी साथ देगा..

अंतिम समय कहा की नेकी कमा लूं लेकिन,
उस पल 'पथिक' न कोई जीवन उधार देगा..

रचना:-- श्री सत्यपाल जी पथिक