जिस दिन घमंड अपने सर से उतार देगा,
उस दिन तुझे विधाता अनमोल प्यार देगा..
उसके समान जग में दाता न और कोई,
देने पे जब वो आये तो बेशुमार देगा..
मन वचन कर्म उसकी आज्ञा अनुसार करले ,
वो तो फ़िदा है तुझपे सर्वस्व वार देगा ..
भगवान छोड़ साथी इन्सान को बनाया ,
सुख में जो साथ देता दुख में भी साथ देगा..
अंतिम समय कहा की नेकी कमा लूं लेकिन,
उस पल 'पथिक' न कोई जीवन उधार देगा..
रचना:-- श्री सत्यपाल जी पथिक
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