तुम्हीं मेरे बन्धु सखा तुम ही मेरे, तुम्हीं मेरी माता तुम ही पिता हो।
तुम्हीं मेरे रक्षक तुम्हीं मेरे पालक, तुम्हीं इष्ट मेरे तुम्हीं देवता हो।।
तुम्हीं ने बनाये शशि भानु तारे, अगन और गगन जल, हवा भूमि सारे।
तुम्हीं ने रचा यह संसार सारा, अजब कारीगर हो अजब रचयिता हो।।
तुम्हें छोड़ किसकी शरण में मैं जाऊँ, है सब कुछ तेरा क्या तुझ पर चढाऊँ
तुम्हीं मेरी विद्या तुम्हीं मेरी दौलत, मैं क्या क्या बताऊँ की तुम मेरे क्या हो।।
जमाना तुझे ढंूढ़ता फिर रहा है, न पाया किसी को कहां तू छुपा है।
पता मिल रहा है पत्ते पत्ते से तेरा, गलत है जो कहते हैं तुम लापता हो।।
अजब तेरी लीला अजब तेरी माया, सभीसे अलग सभी में समाया।
सत्ता से तेरी मुकर जायें कैसे कि, हर सूं विरेन्द्र रहे जगमगा हो।
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