शुक्रवार, 6 मई 2011

राष्ट्र - देवता को आराधो

रचना- डॉ. गणेश दत्त सारस्वत
नहीं किसी को कभी सताओ, काम दूसरों के तुम आओ /
कभी न ताको ओरों का मुंह अपना बोझा आप उठाओ //

निज बाँहों पर रखो भरोसा, दुर्बलता को सबने कोसा /
कभी नहीं बिसराओ उसको, जिसने तुमको पाला-पोसा //

दुःख में सुख का अमृत ढालो, जीवन को तुम पर्व बना लो /
जो करना अभी करो तुम-नहीं आज को कल पर टालो //

जग में वही बड़े होते हैं, बीज श्रेष्ठता के जो बोते हैं /
चाहे जितनी पड़े मुसीबत फिर भी धैर्य न जो खोते हैं //

नहीं किसी से भी डरते हैं, कष्ट दूसरों के हरते हैं /
गति देते हैं जो कि प्रगति को पैर नहीं पीछे धरते हैं //

राम कृष्ण से बनो यशस्वी, नतमस्तक हों सभी मनस्वी /
इतने तपो कि बोल उठे तप धन्य-धन्य तुम धन्य तपस्वी //

तुम गोरव के बनो हिमालय, रचो नया संसार प्रभामय /
श्वास-श्वास से मुखरित हों स्वर जन्मभूमि जननी कि जय-जय //

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