मंगलवार, 24 जुलाई 2012

दुनियां वालो देव दयानंद दीप जलाने


वेदोध्दारक महर्षि दयानन्द जी 

दुनियां वालो देव दयानंद दीप जलाने आया था |

भूल चुके थे राहें अपनी वह दिखलाने लाया था |टेक


घोर अँधेरा जग में छाया नजर नही कुछ आता था |


मानव मानव की ठोकर से जब ठुकराया जाता था |


आर्य जाति सोई पड़ी थी घर घर जा के जगाता था |


दुनियां वालो देव दयानंद दीप जलाने आया था |१



बंट गया सारा टुकड़े टुकड़े भारत देश जागीरो में |


शासन करते लोग विदेशी जोश नही था वीरो में |


भारत माँ को मुक्त किया जो जकड़ी हुयी थी जंजीरों में |


दुनिया वालो देव दयानंद दीप जलाने आया था |२ 



जब तक जग में चार दिशाएं कुदरत के ये नजारे है |


सागर,नदियां,धरती ,अम्बर ,जंगल ,पर्वत सारे है |


पथिक रहेगा नाम ऋषि का जब तक चाँद सितारे है |


दुनिया वालो देव दयानंद दीप जलाने आया था |


भूल चुके थे राहें अपनी वह दिखलाने आया था |३

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