बलिदान हुए जो देश की खातिर, देश की खातिर मेरे राष्ट्र की खातिर।
हां जी हां ये उनको नमन है।।टेक।।
भारत के रणधीरों ने, जांबाज बहादुर वीरों ने।
कारगिल बटालिक घेर लिया, शत्रु का कर ढेर दिया।
देखी ना जब तक रेखा, पीछे मुड़ कर ना देखा।
आगे बढ़ो आगे बढ़ो कह-कह के गुंजाया गगन।।01।।
शेर की भांति बढ़ते गये, ऊँची पहाड़ी चढते गये।
हाथ में बारुद गोला था, जय हिन्द-2 बोला था।
कष्ट अनेकों सहकर के, भूखे प्यासे रहकर के।
लड़ते रहे-लड़ते रहे शत्रु को उढ़ाया कफन।।02।।
वीर जो अपने नहीं रहे, पूछो तो वो कहाँ गये।
बलिदानी हो अमर गये, सीधे स्वर्ग की डगर गये।
इतिहास नया वो बना गये, देश ये कैसा जना गये।
इस देश का वो दुनिया में महका के गये हैं चमन।।03।।
आर्यवीर ‘‘संजीव’’ यहाँ लोग बहुत ही आते हैं।
पशु की भांति पीते हैं, और पशु की भांति खाते हैं।
नमन उन्हें सब करते हैं, जो देश-धर्म हित मरते हैं।
इस राष्ट्र की रक्षा के लिए अर्पित किया है बदन।।04।।
लय- पूछो जरा पूछो.......................
रचना- श्री संजीव कुमार आर्य
मुख्य-संरक्षक, गुरुकुल कुरुक्षेत्र
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