अटल है इरादा, अपने राष्ट्र को बचायेंगे।
स्वदेशी अपनायेंगे, विदेशी भगायेंगे।।
नये-नये जहर आकर विदेशी बनाते हैं।
प्रचार है अनोखा, भोली जनता को बहकाते हैं।
मिरिण्डा और पेप्सी कोला पीवे ना पिलायेंगे।।01।।
अलग-अलग साबुन देखो, बाजारों में लाये हैं।
दाम इनके बड़े भारी, लूट-लूट खायें हैं।
लक्स, लिरिलि, ओ.के. कभी पियर्स से ना नहायेंगे।।02।।
कोलगेट और क्लॉज अप जैसे पेस्ट बनाते हैं।
हड्डियों का चूरा डाल, सेकरीन मिलाते हैं।
त्रिफला, त्रिकुटात्र तूतिया, माजुफल मिलायेंगे।।03।।
शुद्ध सादा नमक छोड़, पीसा हुआ लाये हैं।
पांच गुने दाम एक किलो पर बढाये हैं।
कैप्टेनकुक नमक ‘‘संजीव’’ कभी नहीं खायेंगे।।04।।
रचना- श्री संजीव कुमार आर्य
मुख्य-संरक्षक, गुरुकुल कुरुक्षेत्र
लय-चुप-चुप खडे़ हो.................
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