शुक्रवार, 8 मार्च 2013

नर-नारी सब प्रातः-शाम----


नर-नारी सब प्रातः-शाम,
भजलो प्यारे ओम् का नाम।


ओम नाम का पकड़ सहारा,
जो है सच्चा पिता हमारा।
वह ही है मुक्ति का धाम,
भजलो प्यारे ओम् का नाम।।१।।

कैसा सुन्दर जगत् रचाया,
सूर्य चाँद आकाश बनाया।
गुण गाता है जगत् तमाम,
भजलो प्यारे ओम् का नाम।।२।।

पृथिवी और पहाड़ बनाये,
नदियाँ - नाले खूब सजाये।
बिन कर कर्म करे निष्काम,
भजलो प्यारे ओम् का नाम।।३।।

ऋषियों-मुनियों ने है ध्याया,
अन्त किसी ने न उसका पाया।
करते हैं उसको प्रणाम,
भजलो प्यारे ओम् का नाम।।४।।

मन अपने को शुद्ध बनाओ,
विषय-विकारों से बच जाओ।
वेदों का यह ही फरमान,
भजलो प्यारे ओम् का नाम।।५।।

हीरा जन्म गँवाओं ना तुम,
‘नन्दलाल’ घबराओ ना तुम।
सन्ध्या करो सुबह और शाम,
भजलो प्यारे ओम् का नाम।।६।।

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