सोमवार, 4 जनवरी 2016

बनो आर्य खुद और जहाँ को बना दो--

बनो आर्य खुद और जहाँ को बना दो।
जो कहते हो दुनिया को करके दिखा दो।।



प्रभु एक है वेद है उसकी वाणी।
ये पैगाम स्वामी का घर-घर सुना दो।।1।।

न ऋषियों की तहजीब मिट जाए वीरों।
मिटाए जो इसको उन्हें तुम मिटा दो।।2।।

हंसाओ न दुनिया को लड़-लड़ के बाहम।
समाजों में उल्फत की गंगा बहादो।।3।।

जहालत की दीवारें अब तक खड़ी हैं।
उठो और इन्हें देखो जड़ से हिला दो।।4।।

भटकते बहुत पिशना लब फिर रहे हैं।
‘मुसाफिर‘ उन्हें जामे बहदत पिला दो।।5।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें