सात बजे जिस वक्त सवेरे जब मैं फांसी पाऊंगा।
फांसी पर चढ़ने से पहले सन्ध्या हवन रचाऊंगा।।
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अमर शहीद रामप्रसाद 'बिस्मिल' |
आप होंगे सैकड़ों शस्त्रबन्ध मेरी जान अकेली है।
जिसको तुमने मृृत्यु समझा वह तो मेरी सहेली है।
जेलें काटी भूखा मरा मैंने सकल तबाही झेली है।
अन्तिम हथियार था फांसी का वह भी बला सर ले ली है।
फांसी का डर नहीं मुझे मैं ले जन्म दुबार आऊंगा।।1।।
ब्रिटिश साम्राज्य के अन्दर हवन मन्त्र की बोली हो।
घृत सामग्री की आहुति एक-एक पिस्टल की गोली हो।
आजादी के जंग में लड़ें जो नोजवाानों की टोली हो।
गोली से जो खून बहेगा वो होली में रंग रोली हो।
इस होली को तुम ही देखना मैं तो चला ही जाऊंगा।।2।।
कुर्बानी खाली नहीं जाती ये भी आपको याद रहे।
भारत का बच्चा-बच्चा बन बिस्मिल राम प्रसाद रहे।
जब तक गोरे रहे हिन्द में लड़ने का सिंहनाद रहे।
इन गोरों की हकूमत को करके हम बर्बाद रहे।
भारत के कोने-कोने में क्रान्ति की आग लगाऊंगा।।3।।
घृत सामग्री मिली बिस्मिल को सन्ध्या हवन रचाया गया।
वन्दे मातरम् का गाना फांसी से पहले गाया गया।
सात बजे ठीक सवेरे फांसी पर लटकाया गया।
मरकर जिन्दा रहने का यह सबको पाठ पढ़ाया गया।
कहे ‘भीष्म’ सुनने वालों को मैं ज्यादा नहीं रुलाऊंगा।।4।।
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