गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015

तुम कितने वीर हो बच्चों, तुम्हें आओ बताते हैं।


तुम कितने वीर हो बच्चों, तुम्हें आओ बताते हैं।
तुम्हारे अन्दर जो सोए विचारों को जगाते हैं।।

धर्म पर जान देने वाला हकीकत वीर बालक था।
तपस्या भीषण की जिसने ध्रुव भी एक बालक था।
फतहसिंह और जोरावर भी दोनों वीर बालक थे।
दया दुष्टों को ना आयी दीवारों में चिनाते है।।1।।

आरुणी एक बालक था वो तुमने भी सुना होगा।
गुरु का भक्त था कैसा वो तुमने भी सुना होगा।
 गुरु ने आज्ञा दी उसको खेत पर जाओ तुम बेटे।
रात भर नाली में लेटे ना वो पानी बहाते हैं।।2।।

अभिमन्यु वीर बालक ने चक्रव्यूह तोड़ डाला था।
कौरवों के दाँत किये खट्टे किया वो युद्ध निराला था।
शिवा प्रताप का बचपन अनोखा उनका भाला था।
मूलशंकर भी बालक थे जो सारा जग जगाते हैं।।3।।

भक्त प्रहलाद का किस्सा किताबों में भी आता है।
हिरण्यकश्यप पिता जिसको बहुत ज्यादा सताता हैं।
राम का अश्वमेध घोड़ा जब जंगल में आता है।
पकड़ कर बांध लिया घोड़ा, वो लव-कुश याद आते हैं।।4।।

एकलव्य भील बालक में गुरु की श्रद्धा-भक्ति थी।
चलाये तीर अलबेले अनोखी उसमें शक्ति थी।
अन्धे थे माता-पिता जिसके श्रवण भी एक बालक था।
बैठा कर कन्धों पर उनको सर्वत्र घुमाते है।।5।।

तुम्ही में भगत रहते हैं, तुम्हीं में दयानन्द रहते हैं।
तुम्हीं में वीर बन्दा से निडर शमशेर रहते हैं।
चीर लड़का दिया मुँह में अनेकों कष्ट सहते हैं।
दाँत शेरों के गिने जिसने वो भरत भी तुम में रहते हैं।।6।।

संजीव आर्य सबगा बागपत उ प्र

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