मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011

आज मिल सब गीत गाओ


आज मिल सब गीत गाओ उस प्रभु के धन्यवाद।
जिसका यश नित गाते हैं गन्धर्व गुणिजन धन्यवाद।।


मन्दिरों में कन्दरों में, पर्वतों के शिखर पर।
देते हैं लगातार सौ-सौ बार मुनिजन धन्यवाद।।1।।

करते हैं जंगल में मंगल पक्षिगण हर शाख पर।
पाते हैं आनन्द, मिल गाते हैं स्वर भर धन्यवाद।।2।।

कूएँ में, तालाब में, सिन्धु की गहरी की धार में।
प्रेम-रस में तृप्त हो करते हैं जलचर धन्यवाद।।3।।

शादियों में, कीर्तनों में यज्ञ उत्सव आदि में।
मीठे स्वर से चाहिये करें नारी-नर सब धन्यवाद।।4।।

गान कर ‘अमीचन्द’ भजनानन्द ईश्वर की स्तुति।
ध्यान धर सुनते हैं श्रोता, कान धर-धर धन्यवाद।।5।।

1 टिप्पणी: