तव वन्दन हे नाथ करें हम।
तव चरणन की छाया पाकर शीतल सुख उपभोग करें हम।।1।।
भारत माता की सेवा का व्रत भारी हे नाथ! क्रें हम।।2।।
मां के हित की रक्षा के हित न्यौछावर निज प्राण करें हम।।3।।
पाप शैल को तोड़ गिरावें वेदाज्ञा निज शिश धरें हम।।4।।
राग-द्वेष को दूर हटाकर प्रेम-मन्त्र का जाप करें हम।।5।।
फूले दयानन्द की फुलवारी विद्या-मधु का पान करें हम।।6।।
प्रातः सायं तुझको ध्यावें तेरा ही गुणगान करें हम।।7।।
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