देखो इतिहास पुराने हम गये शिरोमणि माने।
सभी सराहते थे भारत को।।टेक।।
यहाँ सकल विदेशी आते हमसे पढ़कर वो जाते।
गुरु बनाते थे भारत को।।1।।
कोई कमी नहीं थी प्यारे सुख साज यहाँ थे सारे।
स्वर्ग बताते थे भारत को।।2।।
पृथिवी के देश ये सारे कहलाये दास हमारे।
भेंट पहुँचाते थे भारत को।।3।।
हम भरे थे विद्या बल से नर नारी भूमण्डल के।
शीश झुकाते थे भारत को।।4।।
‘ताराचन्द’ चढ़े शिखर पे चमके थे दुनिया भर में।
सभी जन चाहते थे भारत को।।5।।
लयः- उड़े जब-जब जुल्फें तेरी..........
रचना- स्व. श्री तारचन्द जी ‘वैदिकतोप’
टिप्पणी:-
श्री भगवद्दत्त जी रिसर्चास्कोलर का 'भारत का इतिहास'
श्री पंडित रघुनंदन जी शर्मा लिखित 'वैदिक संपत्ति' व आर्यसामाजिक दृष्टिकोण वाले ग्रंथों का अध्ययन करें.
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