उठो देश के वीर जवानों, जग को आर्य बनाना है।
कृण्वन्तो विश्वमार्यमका वैदिक नाद गुंजाना है।।टेक।।
आर्य समाज है माता अपनी, दयानन्द पिता हमारा है।
मात-पिता की आज्ञापालन करना फर्ज हमारा है।
दिया है जीवन पावन हमको, इसका कर्ज चुकाना है।।01।।
आने वाले तूफानों से, आर्यवीरों लड़ना है।
हाथ में लेकर ओम् पताका, निशिदिन आगे बढ़ना है।
वेद वाणी से नवयुवकों का सोया साहस जगाना है।।02।।
आर्यवीर दल देश का रक्षक, इतिहास गवाही देता है।
देव, पितृ और ऋषि के ऋण को, कंधों ऊपर लेता है।
संस्कृति-रक्षा, शक्ति-संचय, सेवा-भाव बढ़ाना है।।03।।
आर्यावर्त ये भारत अपना, जग में रोशन नाम करें।
संकट पड़े कभी जो इस पर, जीवन भी कुर्बान करें।
आर्यवीर दल की समां का, ‘‘संजीव’’ बना परवाना है।।04।।
आर्यवीर संजीव आर्य
मुख्य-संरक्षक
गुरुकुल कुरुक्षेत्र