शेर ओ शायरी
तलवारों की छाया पर जग की आज़ादी चलती है
इतिहास उधर चल देता है जिस और जवानी चलती है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में
उछल रही है मेरी इच्छा कूद रहे मेरे अरमान
फूकूँगा नव जीवन जग में मेरा निश्चय है बलवान
तन समर्पित मन समर्पित और ये जीवन समर्पित
चाहता हूँ देश की माटी तुझे कुछ और भी दूं
हम कोन थे क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी
आओ विचारें आज मिलकर ये समस्याएं सभी
हिंदी शायरी संग्रह
जवाब देंहटाएं